This poem is about lord krishna’s birth and particularly featured on that time period only. (बाल कृष्णा – जन्माष्ठमी)
जेल में ही जन्म लिया, टिके वही प्राण है,
इस आठवीं संतान की तो व्यथा भी महान है |
कर्म इतने लिख दिए, खुद सोच में भगवान् है,
रचु कैसे ये कथा, इसमें नहीं विराम है ||
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कैद में पिता और माँ, क्या रच दिया विधान है,
जन्म से जुदा हुए, वो जानके अज्ञान है |
पालने का नरम स्पर्श, टोकरी कहाँ से दे,
त्याग में भगवान् भी तो सर्वशक्तिमान है ||
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काल बनके जन्में वो तो, जन्म से विद्वान है,
जन्मदाता, खेद ना, मकसद मेरा उत्थान है |
ले चले पिता जब टोकरी में रख के लाल को,
यमुना भी रास्ता छोड़ देखो, दे रही सम्मान है ||
कैद में पिता और माँ, क्या रच दिया विधान है, जन्म से जुदा हुए, वो जानके अज्ञान है | पालने का नरम स्पर्श, टोकरी कहाँ से दे, त्याग में भगवान् भी तो सर्वशक्तिमान है || Click To Tweet
May lord krishna bless you with good health and good wealth. Happy Janmasthmi (जन्माष्ठमी)