कब मिलेगी नौकरी ? – बेरोजगारी
हाँ ! हूँ मैं परेशान, और मेरी सोच भी हैरान,
क्या मेरे सवालों का अब देश देगा समाधान ?
दबाने का न सोचना जरा भी मेरी बात को,
साथ मेरे आज अब खड़ा है हिंदुस्तान ||
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पढाई की, ये सोच कि मिले नौकरी जुगाड़ में,
मैं पेट भरु सबका उस नौकरी की आड़ में |
जॉब की वेकेंसियां, परीक्षा के इन्तजार में,
सपने घिस गए, भविष्य जा रहा भाड़ में ||
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पर तुम्हारें वादे और वो योजनाएँ खोखली,
फसके जिसमें, हमने हमारी किस्मतें भी झोंक दी |
साल-दर-साल बर्बाद हुए, हम एक झूठी आस में,
काश कभी पता चले कि कब मिलेगी नौकरी ?
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पैसों के अभाव में अब, घर से भी दबाव है,
सर पे मेरे आ रहा, अवसाद का प्रभाव है।
ज्ञान अर्जित करके क्यों महसूस हो अपंग सा?
बेरोजगारी पूछती, बता तेरा क्या भाव है?
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हमें अनदेखा करके भई तुम कहाँ पे जाओगे?
गर हमें नहीं उठाओगे तो खुद भी गिर जाओगे |
भले ही आज घर में सबको मिल रहा विराम है,
पर उन्हें तो काम दो, जो भई, करना चाहते काम हैं।।
2 thoughts on “कब मिलेगी नौकरी ? – बेरोजगारी”
We were promised so much
With nothing delivered yet!
Except more gods and temples
More speeches and slogans!
Thankew Sir for giving your time on my post. And, yes! the issue is really magnificant. it’s been prolonged by government for long.