A special poem for your mother – Happy Mother’s Day
मेरे पक्ष में बस तू ही है, बेपक्ष ज़माना है,
ओह माँ, तूने मुझसे ज्यादा, मुझको जाना है ||
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जन्नत-ऐ-अंश, जो तेरे चरणों की ये धूल है,
तुझे रुलाना और सताना, मेरा पाप है, मेरी भूल है ||
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नाचीज़ सी इक हस्ति मैं, फिर भी तुम्हें अभिमान है,
विशालकाय इक ह्रदय-धारक, तुम सर्वशक्तिमान है ||
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नादानियां हो जो भी मेरी, बस तू समझती है,
मुझे बचाने, सारे जग से, तू उलझती है ||
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तेरे हाथों पे सर रख के, जब तेरे पास सोता हूँ,
सारे जग के मधुर सपने, मैं संजोता हूँ ||
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पिज़्ज़ा, बर्गर में कहाँ जो स्वाद तेरे हाथों में है,
जहाँ चाशनी भी हार माने, वो मिठास तेरी बातों में है ||
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तूने जतन किये है इतने, तेरा कर्ज कहा अदा होगा,
बेशुमार प्यार की इस दौलत का, अहसान मुझपे सदा होगा ||
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