इतने भी बुरे हालात नहीं तुम दिन ही मानो रात नहीं, ये सबके बस की बात नहीं | क्यों रोता है तू किस्मत पे, इतने भी बुरे हालात नहीं || * यह समय का बस एक दौर, जहाँ पे टिकटी एक भी रात नहीं | वो अंत अँधेरे का होता […]
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