ना शोर था कोई उलझनों का, बस खामोशियाँ हवा में, शोर करती जा रही थी | सर की मेरी कुछ नसें, तब दिल के मेरे तारों से, कुछ बातें करने आ रही थी | *** सोच से मैं मुग्ध, और जुबान से मैं अधपक्का, मैं फिर भी बक-बका के था […]
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