क्यों रुक मैं गया ? जब साँस हुई अंदर भारी, फिर याद आई जिम्मेदारी, सपनों की सवारी करनी? पहले खुद की करो पहरेदारी | सीधा तन के निकला तो फिर, हांफ के क्यों झुक मैं गया? और, नहीं मिली मंजिल अब तक, तो हार के क्यों रुक मैं गया || […]
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