राग द्वेष हैं सबके, सब अपने बनके, मेरे पास भटके, सारे भ्रम से लगते, मुझे आज भी वक्त मेरा, दिखता सख्त सा ही, चाहा सबको, कोई मिलता क्यों नहीं ? झूठे लोग, उनकी झूठी बातें, सब कुछ सिखाते, सारे रिश्ते नाते, मतलब की जात, मतलब की खाते हैं पहले मीठी […]
जगी मशालें दिल में संभाले, जलने का मुझको ध्यान नहीं, हूँ आज का युवा, अस्थ-व्यस्त, कल का भी मुझको ज्ञान नहीं II * हड़बड़ी कर होड़ में पागल, गड़बड़ी कर फसा मैं दलदल, शोर हर पल दिल में हलचल, रोया देख मैं उथल-पुथल II * मुसीबतों से प्यार करके, खुद […]