क्यों बन सका न ढ़ाल मैं मलाल मन में हाँ,
सबकी आँखें थी तरसती देखने को मेरे आंसूं,
मेरा दर्द लिप्त आग में, मशाल बन गया ||
है तेरा वक्त बीत, तू रक्तबीज, तू कैसे बच के जाएगा,
है fire heat मेरे rap beat, ये डर तुझे सतायेगा |
मेरी hectic सी life,
झेले tactics के knives,
पेले practice को साथ लेके,
septic को मात देरे
कहरे गहरे राज ठहरे,
रात से लिए सवेरे,
ऐरे गेरे डाले डेरे,
नत्थू खैरों के क्यों पहरे
बन बनाया जाल टुटा,
एक ही पल में सच था झूठा
फिर तबाही आँखें मूंदे,
गुस्से का गुब्बार फूटा |
कहने को हूँ, क्यों निराश मैं,
बातें सारी अलग साज में,
निरर्थक ज्ञान को जो भी पेले,
करता जाऊं नज़रअंदाज़ मैं ||
**
क्यू किया कुछ भी सवाल, अब बैठा हूँ लेके खाली हाथ
आवाज मैं बना बागियों की, पर बागी हैं ना अब मेरे साथ ||Slow…
**
मैं आज खोल दूँ गर पोल, तेरी काली करतूतों की,
हरकतों से बोझ है तू, दावेदारी कर्मठों की |
मंत्रमुग्ध राग जपता, छवि तेरी भ्रमिकों की,
करवटों का साज तुझमें, छाप भर न श्रमिकों की ||
ये ताकते आजमाइशें, कुछ शोख़, कुछ फ़रमाइशें,
बिन सिर पैर के कृत्य, तेरी बेलगाम ख्वाहिशें |
घमंड का विराट रूप, शुन्य सी औकात साथ,
जीतने चला जो सर्व, खा रहा खुद ही से मात ||