मेरी मेहनत में क्या कमी रही, क्यों आँखों में मेरे नमी रही. पिंजरें की कड़ी ना तोड़ सकी, साँसे ऐसी मेरी जमी रही. * सोचा नहीं हकदारों को तुम खून के आंसू रूलाओगे, योग्य अयोग्य का भेद मिटा, धांधली की सीढ़ी चढ़ जाओगे | और सबकी टांग खींचने वालों तुम […]
क्यों रुक मैं गया ? जब साँस हुई अंदर भारी, फिर याद आई जिम्मेदारी, सपनों की सवारी करनी? पहले खुद की करो पहरेदारी | सीधा तन के निकला तो फिर, हांफ के क्यों झुक मैं गया? और, नहीं मिली मंजिल अब तक, तो हार के क्यों रुक मैं गया || […]
ना शोर था कोई उलझनों का, बस खामोशियाँ हवा में, शोर करती जा रही थी | सर की मेरी कुछ नसें, तब दिल के मेरे तारों से, कुछ बातें करने आ रही थी | *** सोच से मैं मुग्ध, और जुबान से मैं अधपक्का, मैं फिर भी बक-बका के था […]
Friendship or One-sided love, should now be treated as synonyms in most of the situations. This poem would highlight the same picture for you. मित्र बन तेरे आंसुओ से इकरार करता रहा, तुम मेरी दोस्त बन गयी, मैं तुमसे प्यार करता रहा | नजरबंद मेरे एहसासों को हवा नसीब ना […]