तू जहाँ थी, वहां पे, बेचैनियां बड़ी थी, हाथों में तेरा हाथ, लगा जैसे हथकड़ी थी | तू थी शातिर और मैं पागल, मुझको कैसी हड़बड़ी थी? फिर गई तू तोड़ के वो सारी आस जो जुड़ी थी ||…slow * on beat… मैं बेहाल सा शख्श, वक्त बेवक्त करता सब […]
जगी मशालें दिल में संभाले, जलने का मुझको ध्यान नहीं, हूँ आज का युवा, अस्थ-व्यस्त, कल का भी मुझको ज्ञान नहीं II * हड़बड़ी कर होड़ में पागल, गड़बड़ी कर फसा मैं दलदल, शोर हर पल दिल में हलचल, रोया देख मैं उथल-पुथल II * मुसीबतों से प्यार करके, खुद […]
क्यों रुक मैं गया ? जब साँस हुई अंदर भारी, फिर याद आई जिम्मेदारी, सपनों की सवारी करनी? पहले खुद की करो पहरेदारी | सीधा तन के निकला तो फिर, हांफ के क्यों झुक मैं गया? और, नहीं मिली मंजिल अब तक, तो हार के क्यों रुक मैं गया || […]
ना शोर था कोई उलझनों का, बस खामोशियाँ हवा में, शोर करती जा रही थी | सर की मेरी कुछ नसें, तब दिल के मेरे तारों से, कुछ बातें करने आ रही थी | *** सोच से मैं मुग्ध, और जुबान से मैं अधपक्का, मैं फिर भी बक-बका के था […]
This is my poem that I turned into a song about loneliness. Link – at the end of the poem. दिल मेरे आज, तुझसे है कहना, सीखो तुम यार तन्हा भी रहना || *** कोई नहीं तो क्या, माँ बाप का है प्यार – 2times उनके तुम यार, बनके रहना… […]