क्यों इतनी तर्क करे मुझसे, थोड़ा धीरज धर आ बात तो कर | गर नहीं समझना मुझको तो, जरा बात को तू निष्णात तो कर || * मासूम उदासी छाई है, तेरे दिल को ये अगुवाई है | मेरे दिल की तुझे तो इज्जत हो, सारे जग में जग- हसाई […] Hindi Poems Love Under Construction क्यों इतनी तर्क करे मुझसे – ‘तर्क-वितर्क’