मेरी मेहनत में क्या कमी रही, क्यों आँखों में मेरे नमी रही. पिंजरें की कड़ी ना तोड़ सकी, साँसे ऐसी मेरी जमी रही. * सोचा नहीं हकदारों को तुम खून के आंसू रूलाओगे, योग्य अयोग्य का भेद मिटा, धांधली की सीढ़ी चढ़ जाओगे | और सबकी टांग खींचने वालों तुम […]
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