रहनुमा
न कर सके विदा, हुये अलविदा,
सर से छत गयी, घटी आपदा |
रहनुमा नहीं , अब रुका क़ाफ़िला,
मानो मिल गया कोई श्राप सा ||
*
सब केसे होगा अब, स्तब्ध मेरे शब्द,
साथ लेके सबको चला था वो |
दिशाहीन यूँ अब पड़े सभी,
दिशा देके खुद खो चला था वो ||
*
रहनुमा था वो ढाल भी वही,
बेफिक्र सब उसकी पनाह में |
ढाल टूटी, मानो दुनिया रूठी,
किसको मनाये कहो उसकी चाह में ?
*
उसके बाद याद उसकी बातें,
आती बहुत, करे दिल को भारी |
मैं बेजुबान, लिए मार वक़्त की,
फरियाद मेरी मंजिल को हारी ||
*
वो सामने था पर साथ में नहीं,
हाथ थामा, कुछ हाथ में नहीं |
लगा मुझे कहीं खेल सा कोई,
वो ऐसे अलविदा लेता ही नहीं ||
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