
Wine shops are open now amid lockdown situation prevailing in India. Are they better saving the economy or making the lockdown hopeless, resultsless and lifeless ?
अब खोल दिए है मयखाने, जब मंदिर पड़े वीराने से,
चुपके से शराबी बोल पड़ा, अरे देश को मुझे उठाने दे ||
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पूरी श्रद्धा, ईमानदारी से, एक मीटर की दूरी बनाएंगे,
डूबे इस देश की नौका में, हम ही पतवार चलाएंगे ||
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बूँद-बूँद गर घड़ा भरे, हम बोतल घर ले आएंगे,
भले हाथ में नोट नहीं, हम कंगन बेच चुकाएंगे ||
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दाम चाहे तुम दुगने कर दो, ये भी हम सह जायेंगे,
ये मदिरा है कोई प्याज थोड़ी, जो हाहाकार मचायेंगे ||
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अरबों का सहयोग मिलेगा, अरे बाप इतनी दौलत,