डरना भी अच्छा है
आजकल के दौर में थोड़ा डरना भी अच्छा है,
पापा, जरा जल्दी घर आना, सुन कहता ये बच्चा है ||
लड़ाई, झगड़ा, मार, पीट, या ऑनलाइन पे वो हार जीत,
क्यों बढती इतनी बात चीत, क्या हमारा प्यार न सच्चा है?
गर नहीं रख पाते प्रीत सभी से, क्यों रखते फिर बैर किसी से,
सबकी बातें सुनो भले, पर करदो खाली कान ख़ुशी से |
विचारों की आज पकड़ कठोर, इंसानी धागा कच्चा है.
विचार आपका, हां मत भी आपका, पर क्या हर वक्त बोलना अच्छा है?
कोई कदम उठाने से पहले, दो बार जरा ये सोचना,
सबक सिखाते गैरों का, न बन जाये आंसू पोंछना |
सबको समझाना फिजूल है माना, पर आप हमारे अपने हो,
क्यों दूसरों की बातों में उलझ कर खुद का माथा नोंचना ?
2 thoughts on “डरना भी अच्छा है – Think Before You Act”
Very Nice Poem . I appreciate you for writing such a beautiful poem. Thanks
Thank you for your appreciation !!!