दिया और रोशनी के साथ,
दीवाली का आया त्यौहार |
माता सीता और लक्ष्मण के साथ,
जब अयोध्या लौटे राम, कर वनवास को पार ||
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उनके वापसी की सौगात,
दिवाली में होती दिए के साथ |
घर घर जलते दिए, है प्रतीक उसी रात के,
जब खिले हुए थे चेहरे, मानो जगती मशाल से ||
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मिठाई, फुलझड़ी और अनार के साथ,
सब मनाते दीवाली का त्यौहार |
चलो इस दीवाली कुछ अलग करें,
वातावरण को ना दूषित करें ||
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दिवाली है सुभ मिलन का त्यौहार,
मनाई जाती गले मिलने के साथ |
सब एक-एक पौधा लगाएं,
प्रकृति को फिर रंगीन करें |
पटाखों को ना कहके,
चलो हम मिशाल बने ||