हम दिल को तेरे छोड़ चले
तू गैर से नाता जोड़ भले,
हम दिल को तेरे छोड़ चले |
तेरी भीड़ भरी तन्हाई से बच,
शर्म का दामन ओढ़ चले ||
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दिल खुशियों में तेरा फूले फले,
मेरे दिल में भरे तू शोक भले |
मैं खुद को फनाह करना चाहुँ
तेरे अरमानों की चौंध तले ||
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थे मित्रों से मेरे बैर पले,
लगे अपनों से मुझे गैर भले |
मैं खुद में ही महफूज़ नहीं,
मेरे दिल में तेरी आंच जले ||
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आये याद तेरी हर शाम ढले,
पर मेरी कमी तुझको न खले |
मैं बनके चिता जलता ही रहा,
उठती लपटों की आग तले ||
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खारे रिश्तों में मिठास खले,
सब लेके अपनी चाल चले |
तू दिल पे मेरा बोझ न रख,
हम दिल को तेरे छोड़ चले ||