सपनों में रंगी स्याही से हकीकत लिख दूँ,
कुछ ऐसा बनूँ जो शब्द दूँ तो नसीहत लिख दूँ |
काश उस खुदा की मेरे शब्दों में बरकत हो,
जो लिखने पे आऊं किसी मरीज की तबीयत लिख दूँ ||
सपनों में रंगी स्याही से हकीकत लिख दूँ, कुछ ऐसा बनूँ जो शब्द दूँ तो नसीहत लिख दूँ | Click To Tweet
माना तुच्छ हूँ मैं उच्च नहीं, ज्यों घड़ा कोई कच्ची मिटटी का,
न समझो कि मैं कुछ नहीं, मैं बीज उभरता धरती का,
नाजुक सा हूँ, मैं सख्त भी, मैं जटिल सोच का मालिक हूँ,
करे नजरअन्दाज तो अच्छा जो अन्दाजा कर न सके इस हस्ती का ||
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थोड़ा धीमा हूँ पर रुका नहीं, गर थक भी गया मैं झुका नहीं,
मैं चिर सम्भाले मन को अपने, माल कोई भी फूँका नहीं |
मैं कहु बात बेबाकी से तो प्रश्न खड़े हो जाते हैं,
और कह के बात मैं वपिस लूँ, शब्दों को ऐसे थूका नहीं ||
2 thoughts on “क्या लिखूं – हकीकत ?”
Shaandar……. Each word giving a message……..
Thank you…!!! Keep reading our posts…