Yes, people change! And, not because they unveil their real face. There could be other reasons too. This all happens in first 5 years of relationships, beyond that you generally won’t see any changes, hopefully, if your relation lasts till that time. The patience isn’t a cup of tea. More […]
People Found Me Lost People found me lost, asked me, where I’ve been so far? I said, caged in my room, I was busy in curing scars. all the times, glue to my bed, I hide face in my pillow, I’m sipping all my tears; shit, they’re so easy to […]
क्यों रुक मैं गया ? जब साँस हुई अंदर भारी, फिर याद आई जिम्मेदारी, सपनों की सवारी करनी? पहले खुद की करो पहरेदारी | सीधा तन के निकला तो फिर, हांफ के क्यों झुक मैं गया? और, नहीं मिली मंजिल अब तक, तो हार के क्यों रुक मैं गया || […]
बदन से रिसता खून जिसके आगे हार जाता सीने में भरा जुनून, आता जब भी छीन लेता, मेरा सारा सुकून | रोके से ना रुके, लगा लो रुई या कपडा ऊन, फिर तोड़ देता है मुझको, मेरे बदन से रिसता खून || * महीने के वो चार दिन, क्यों मैं […]
दिया और रोशनी के साथ, दीवाली का आया त्यौहार | माता सीता और लक्ष्मण के साथ, जब अयोध्या लौटे राम, कर वनवास को पार || *** उनके वापसी की सौगात, दिवाली में होती दिए के साथ | घर घर जलते दिए, है प्रतीक उसी रात के, जब खिले हुए थे […]
ना शोर था कोई उलझनों का, बस खामोशियाँ हवा में, शोर करती जा रही थी | सर की मेरी कुछ नसें, तब दिल के मेरे तारों से, कुछ बातें करने आ रही थी | *** सोच से मैं मुग्ध, और जुबान से मैं अधपक्का, मैं फिर भी बक-बका के था […]
This is my poem that I turned into a song about loneliness. Link – at the end of the poem. दिल मेरे आज, तुझसे है कहना, सीखो तुम यार तन्हा भी रहना || *** कोई नहीं तो क्या, माँ बाप का है प्यार – 2times उनके तुम यार, बनके रहना… […]
नारी शक्ति का प्रतीक माँ दुर्गा, है आई होके सिंह पे सवार | लेके संग लक्ष्मी और गणेश, माँ की टोली है तैयार || *** गुंजी माँ आस्छे की हुंकार, कलकत्ता नगरी करे पुकार | हो चाहे कोरोना की फटकार, दिल से करेंगे माँ का दीदार || माँ की कृपा […]
If you’re done with fighting for your career, family problems or routine job, wait! Here’s one more wall you need to break down, The society! A horde of idiots who think themselves nothing less than a supreme court judge. Living in a society is as good as standing in a […]
बज गया फिर बिगुल, होने वाली है शोरगुल | फिर चुनाव आया है, कुछ झूठे वादे लाया है || *** इस बार बिहार की पारी है, पर लालू की खोज भी जारी है | होगा उम्मीदवारों का फुसलाना, आजकल घर घर दिखते भिखारी हैं || *** चले जब पैदल, ये […]