Poetry and Poems, a beautiful and summarized form for a huge volume of words of general communication. It covers millions of emotions in just a few poetical words. So I feel poems are sort of blessings for a writer who knows the use of it. Anyone can explain the whole night journey of dreams or any painful or happy message in just a verse of 8-10 lines. The imprint of poems lasts longer. The poems are considered to be more effective if you’re trying to go straight into someone’s heart. Therefore the PALMWORD feels the need to embrace this section.
डरना भी अच्छा है आजकल के दौर में थोड़ा डरना भी अच्छा है, पापा, जरा जल्दी घर आना, सुन कहता ये बच्चा है || लड़ाई, झगड़ा, मार, पीट, या ऑनलाइन पे वो हार जीत, क्यों बढती इतनी बात चीत, क्या हमारा प्यार न सच्चा है? गर नहीं रख पाते […]
कहना था वो कह गई , ना सहना था वो सह गई, एक बांध आँसुओं का था, वो टूट कर के बह गई | देह भरा खरोंचो से, न रक्त-धारा जम सकी, क्रूर इस जहां को फिर अलविदा वो कह गई || * थी बर्बादी की एक आंधी जब हवा […]
इतने भी बुरे हालात नहीं तुम दिन ही मानो रात नहीं, ये सबके बस की बात नहीं | क्यों रोता है तू किस्मत पे, इतने भी बुरे हालात नहीं || * यह समय का बस एक दौर, जहाँ पे टिकटी एक भी रात नहीं | वो अंत अँधेरे का होता […]
People Found Me Lost People found me lost, asked me, where I’ve been so far? I said, caged in my room, I was busy in curing scars. all the times, glue to my bed, I hide face in my pillow, I’m sipping all my tears; shit, they’re so easy to […]
क्यों रुक मैं गया ? जब साँस हुई अंदर भारी, फिर याद आई जिम्मेदारी, सपनों की सवारी करनी? पहले खुद की करो पहरेदारी | सीधा तन के निकला तो फिर, हांफ के क्यों झुक मैं गया? और, नहीं मिली मंजिल अब तक, तो हार के क्यों रुक मैं गया || […]
बदन से रिसता खून जिसके आगे हार जाता सीने में भरा जुनून, आता जब भी छीन लेता, मेरा सारा सुकून | रोके से ना रुके, लगा लो रुई या कपडा ऊन, फिर तोड़ देता है मुझको, मेरे बदन से रिसता खून || * महीने के वो चार दिन, क्यों मैं […]
दिया और रोशनी के साथ, दीवाली का आया त्यौहार | माता सीता और लक्ष्मण के साथ, जब अयोध्या लौटे राम, कर वनवास को पार || *** उनके वापसी की सौगात, दिवाली में होती दिए के साथ | घर घर जलते दिए, है प्रतीक उसी रात के, जब खिले हुए थे […]
ना शोर था कोई उलझनों का, बस खामोशियाँ हवा में, शोर करती जा रही थी | सर की मेरी कुछ नसें, तब दिल के मेरे तारों से, कुछ बातें करने आ रही थी | *** सोच से मैं मुग्ध, और जुबान से मैं अधपक्का, मैं फिर भी बक-बका के था […]
This is my poem that I turned into a song about loneliness. Link – at the end of the poem. दिल मेरे आज, तुझसे है कहना, सीखो तुम यार तन्हा भी रहना || *** कोई नहीं तो क्या, माँ बाप का है प्यार – 2times उनके तुम यार, बनके रहना… […]
नारी शक्ति का प्रतीक माँ दुर्गा, है आई होके सिंह पे सवार | लेके संग लक्ष्मी और गणेश, माँ की टोली है तैयार || *** गुंजी माँ आस्छे की हुंकार, कलकत्ता नगरी करे पुकार | हो चाहे कोरोना की फटकार, दिल से करेंगे माँ का दीदार || माँ की कृपा […]