Poem in itself is one of the finest ways of expressing emotions. Hindi Poems category reserves a connecting advantage for the writers to go easily into the hearts of the readers. Let’s spread some thoughts in Hindi, what Palmword genuinely feels like. Here we’re going to serve you all sort of emotions on one single table.
तुम न सर्वश्रेस्ट, न सर्वोतम, तुम राग द्वेष के पुरुषोत्तम | तुम अंधकार के हो सूचक, तुम दगाबाजी के हो पूरक || * क्या जमीर का भीतर कक्ष नहीं? क्या एक भी अंग निष्पक्ष नहीं? जो पीड़ पराई समझे, तुम में एक भी ऐसा शख्श नहीं || * शीर्ष बुलन्दी […]
डरना भी अच्छा है आजकल के दौर में थोड़ा डरना भी अच्छा है, पापा, जरा जल्दी घर आना, सुन कहता ये बच्चा है || लड़ाई, झगड़ा, मार, पीट, या ऑनलाइन पे वो हार जीत, क्यों बढती इतनी बात चीत, क्या हमारा प्यार न सच्चा है? गर नहीं रख पाते […]
कहना था वो कह गई , ना सहना था वो सह गई, एक बांध आँसुओं का था, वो टूट कर के बह गई | देह भरा खरोंचो से, न रक्त-धारा जम सकी, क्रूर इस जहां को फिर अलविदा वो कह गई || * थी बर्बादी की एक आंधी जब हवा […]
इतने भी बुरे हालात नहीं तुम दिन ही मानो रात नहीं, ये सबके बस की बात नहीं | क्यों रोता है तू किस्मत पे, इतने भी बुरे हालात नहीं || * यह समय का बस एक दौर, जहाँ पे टिकटी एक भी रात नहीं | वो अंत अँधेरे का होता […]
क्यों रुक मैं गया ? जब साँस हुई अंदर भारी, फिर याद आई जिम्मेदारी, सपनों की सवारी करनी? पहले खुद की करो पहरेदारी | सीधा तन के निकला तो फिर, हांफ के क्यों झुक मैं गया? और, नहीं मिली मंजिल अब तक, तो हार के क्यों रुक मैं गया || […]
बदन से रिसता खून जिसके आगे हार जाता सीने में भरा जुनून, आता जब भी छीन लेता, मेरा सारा सुकून | रोके से ना रुके, लगा लो रुई या कपडा ऊन, फिर तोड़ देता है मुझको, मेरे बदन से रिसता खून || * महीने के वो चार दिन, क्यों मैं […]
दिया और रोशनी के साथ, दीवाली का आया त्यौहार | माता सीता और लक्ष्मण के साथ, जब अयोध्या लौटे राम, कर वनवास को पार || *** उनके वापसी की सौगात, दिवाली में होती दिए के साथ | घर घर जलते दिए, है प्रतीक उसी रात के, जब खिले हुए थे […]
ना शोर था कोई उलझनों का, बस खामोशियाँ हवा में, शोर करती जा रही थी | सर की मेरी कुछ नसें, तब दिल के मेरे तारों से, कुछ बातें करने आ रही थी | *** सोच से मैं मुग्ध, और जुबान से मैं अधपक्का, मैं फिर भी बक-बका के था […]
This is my poem that I turned into a song about loneliness. Link – at the end of the poem. दिल मेरे आज, तुझसे है कहना, सीखो तुम यार तन्हा भी रहना || *** कोई नहीं तो क्या, माँ बाप का है प्यार – 2times उनके तुम यार, बनके रहना… […]
नारी शक्ति का प्रतीक माँ दुर्गा, है आई होके सिंह पे सवार | लेके संग लक्ष्मी और गणेश, माँ की टोली है तैयार || *** गुंजी माँ आस्छे की हुंकार, कलकत्ता नगरी करे पुकार | हो चाहे कोरोना की फटकार, दिल से करेंगे माँ का दीदार || माँ की कृपा […]